Wednesday, 10 December 2008

नो का आदर्श

महांकाल
आदिकवि ने शुरू की ,वंदना महाकाल की

अहसास से हृदय भरा ,कूंच व्यथा तत्काल की

समय बिता शुरू हुआ ,अर्चन कालिदास का

भावः विव्हल श्रृंगार था ,महाकाल विन्यास का

कनिष्ठिका आसीन था,महाकाल का ये दास

माँ काली का वरद था , महाकवि कालिदास

काल गणना के दूर में , कवि सुमन भी आ गए

शिव मंगल में हो अर्पित ,कलि काल में समां गए

महाकाल का एक पल प्रचलित हे अविकल

गिनती करके चूक गए ,फिर भी जारी हे हलचल

इस गणना में आ रहा ,नव वर्ष भावः विभोर

नव नो की नवीनता से,मंगल मये चित चोर.

Tuesday, 9 December 2008

Sunday, 5 October 2008

मानव की इच्छा

मानव हमेशा यह इच्छा रखता हे की में किसी के दुःख में काम आ सकू ।
किंतु आज इस सोच की कमी महसूस होती हे क्योकि मानव आज किसी से
भी ,विनम्रता से बात तो कर नही पता हे क्या उम्मीद की जा सकती हे की वह
किसी के काम आ सकेगा ।
आज मानव अपने में जो बदलाव महसूस करता हे उसके लिए आज का वातावरण दोषी
ही लगता हे।
प्रेम एक ऐसा शब्द हे की किसीको भी अपने प्रति समर्पित कर सकता हे यदि मानव मानव से प्यार से
नही रह सकता हे तो वह इश्वेर से क्या प्रेम रख सकेगा /इश्वेर के प्रति झूठी आस्था दिखाकर क्या साबित करना
चाहता हे .क्योंकि सभी मानव सिर्फ़ धन ,वैभव के लालच में पड़ा हे क्या अपनी नियमित जररूत के अतरिक्त
धन सिर्फ़ और सिर्फ़ मानव की झूठी शान बढाने वाला रह गया हे

Monday, 22 September 2008

सम्बन्ध


जीवन के मधुर पल वही हो जिसमे कोई अपना कहलाने लायक हो।

कभी तो समय मधुर याद में खोया हुआ ,कभी गम से भरा हुआ

जीवन की मधुरता के पल की खोज में सिर्फ़ गम ही हाथ लगते हे

ऐसा क्या हे की स्वार्थ में अपने भी पराये हो जाते हे ।

कोई सम्बन्ध तो निस्वार्थ होगा .वही निस्वार्थ अपनेपन की खोज में ...............

Saturday, 20 September 2008

RAJENDER DAVE: आतंकवाद

RAJENDER DAVE: आतंकवाद

आतंकवाद

यह आतंकवाद इस दुनिया में क्या करना चाहता हे ?
क्या हिंदू क्या मुस्लमान कल इस्लामाबाद में जो हुआ वह
दरिंदगी की पराकाष्ठा नही हे.आतंकी का जब भी नाम आता हे तो वह मुस्लिम होता हे।
इस्लाम के इन पाक दिनों में क्या यह सब ठीक हे मेरे जानकारी में तो "रमजान"का महिना तो
सिर्फ़ खुदा की इबादत का हे ऐसा मेरे मुस्लिम दोस्त कहते हेई,क्या यह इबादत हे ,उन दरिंदो
के मन में क्या खुदा का डर नही .एक तरफ़ तो कहते हें की हम इस्लाम को बचाना चाहते हें
दिन पैर दिन न्यूज़ में दुनिया में किसी न किसी आतंकी घटना का जिक्र सुनने को मिलता हें
दुनिया में अमन चैन का कोई तो रास्ता होगा ।

Tuesday, 2 September 2008

जीवन का सफ़र


जीवन एक मधुर अहसास
कितना कोमल , कितना नाजुक ,
जो किसी के भी दर्द से दुखी हो उठे ,
जो किसी पराये के सुख दुःख में कम आ सके,
जो किसी भी बात पैर हर्षित होना चाहे
जो मन किसी खुशी के पल को तलाशता रहे,
किसी मधुर पल की राह देखता रहे
किसी पराये को अपना बनाने को देखता रहे।

" पप्पू ".